apna sach

बुधवार, 17 अगस्त 2011

किस लोकत्रंत की बात हो रही है .ऐसे ही भीड़ को लेकर चुनाव करते है ,कुछ वोटो से आगे होकर संसद में बैठते है .उन्हें खुद ही नहीं याद रहता है कि चुनावी घोषणापत्र क्या था .सिस्टम खुद ही बनाते है ,उसमे हो रही कमी को कैसे वो नकार सकते है .अब क्या भष्ट्राचार की परिभाषा की जरुरत है .विश्व की महाश्क्तिवो को वीटो का अधिकार छोड़ने को कहा जाये तो वो कभी सहमत होगी .इसी प्रस्ताव पर वो वीटो का उपयोग करेगी . निसंदेह संसद बड़ा है तभी तो जनता चाहती है जनलोक पाल बिल संसद पटल पर आये की राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करे .

बुधवार, 13 जुलाई 2011

ख़ामोशी



तुम  चुप  हो 
चुप्पी  में  भी एक ख़ामोशी
निरीह व हताश
लगभग मरी हुई सी
चुपचाप देखती हुई
कि बहुत लोग चीखते चीखते
अंत में शांत हो गए
हाँ ,हार गए