apna sach

बुधवार, 17 अगस्त 2011

किस लोकत्रंत की बात हो रही है .ऐसे ही भीड़ को लेकर चुनाव करते है ,कुछ वोटो से आगे होकर संसद में बैठते है .उन्हें खुद ही नहीं याद रहता है कि चुनावी घोषणापत्र क्या था .सिस्टम खुद ही बनाते है ,उसमे हो रही कमी को कैसे वो नकार सकते है .अब क्या भष्ट्राचार की परिभाषा की जरुरत है .विश्व की महाश्क्तिवो को वीटो का अधिकार छोड़ने को कहा जाये तो वो कभी सहमत होगी .इसी प्रस्ताव पर वो वीटो का उपयोग करेगी . निसंदेह संसद बड़ा है तभी तो जनता चाहती है जनलोक पाल बिल संसद पटल पर आये की राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करे .

1 टिप्पणी:

Sunil Kumar ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया और बहुत सुंदर और सार्थक पोस्ट पढ़ने को मिली आभार
(कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये )