apna sach

सोमवार, 8 मार्च 2010

नारी

तुम ,तुम हो
एक सहृदय
अकल्पित
व एक खुबसूरत परिकल्पना
ह्रदय की वाणी
एक अछूता अहसास
एक गंभीर ज्योत्सना

तुम ,तुम हो
एक सजीवता
सत्य व
ज्ञान के समीप
एक लय ,एक लक्ष्य
व एक मार्ग के करीब


तुम ,तुम हो
एक सशक्त पहचान
विश्वास की प्रतिक
अटल ,अविचलित
एक मजबूत अस्तित्व
तुम ,तुम हो

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