apna sach

बुधवार, 2 जून 2010

जब वे बाते करते है

जब एक कह रहा होता है
और दूसरा सुन रहा होता है
तो ये उनकी आपबीती
रहती है
एक का अनुभव
दूसरे का भुगता रहा होता है
एक का डर
दूसरे की आशंका होती है
एक का सपना
दूसरे की आशा होती है
उनके बातचीत का दायरा
उन्ही तक सिमटा होता है
हम तुम से बात कर रहे
दोनों शख्स
जब तीसरे की बात करते है
तो निश्चय ही
वह आदमी
उनका मालिक रहता है
और वे
उनके मजदूर ।

4 टिप्‍पणियां:

sanu shukla ने कहा…

सच कहा अपने...
सुंदर प्रस्तुति है..

Unknown ने कहा…

poonam bahut dino ke baad aapki kavita padhi.paad kar aacha laga.aisa laga jaise humlog jo baatain share karte hain unko aapne kavita main dhaaj diya.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच है दूसरे की बात करते हुवे जो दिल में आता है वो कर देते हैं .... अच्छा लिखा है ...

के सी ने कहा…

गंभीर कविता
कई बार पढ़ा. जीवन में हम सीखने ही आये हैं मगर ये सब अवचेतन में भी होता ही रहता है.