apna sach
apna sach
apna sach
संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ
बुधवार, 6 जनवरी 2010
प्रयास
उस बंद दरवाजे को खोलो ,
वह खुलेगा ,
वह वैसे बंद नहीं है ,
जैसे तुम्हारे हाथ ।
1 टिप्पणी:
Unknown
ने कहा…
बहुत ही छोटी लेकिन बहुत ही सटीक कविता
25 जनवरी 2010 को 7:16 pm बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
बहुत ही छोटी लेकिन बहुत ही सटीक कविता
एक टिप्पणी भेजें