apna sach

बुधवार, 6 जनवरी 2010

प्रयास

उस बंद दरवाजे को खोलो ,
वह खुलेगा ,
वह वैसे बंद नहीं है ,
जैसे तुम्हारे हाथ ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

बहुत ही छोटी लेकिन बहुत ही सटीक कविता