बूँद भी करती है सफर दूर तनहा ही
कभी तो तुम भी रहो ,खुद ही तनहा ही
जान लोगे क्या होती है ,शान इस तनहाई का
एक समुद्र फैल जाता है ,दूर तक तनहा ही
कभी तो तुम भी रहो ,खुद ही तनहा ही
जान लोगे क्या होती है ,शान इस तनहाई का
एक समुद्र फैल जाता है ,दूर तक तनहा ही
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