apna sach

रविवार, 5 जनवरी 2014

बूँद भी करती है सफर दूर तनहा ही
कभी तो तुम भी रहो ,खुद ही तनहा ही
जान लोगे क्या होती है ,शान इस तनहाई का
एक समुद्र फैल जाता है ,दूर तक तनहा ही

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