apna sach

बुधवार, 24 सितंबर 2014

                         जीवन  

फूल खिलते है 
महकते है 
चमन को रंगीन 
व मोहक बनाते है 
खूशबू से नहा उठती है
आती  जाती हवा वही 
चित्त को बेपरवाह बना देती है
रंग बिरंगी पंखुड़ियाँ 
भीनी भीनी सी खुशबू 
ये हवाएँ ,ये फिज़ा 

पर उसके बाद 
उनका टूट कर बिखरना 
                   जरुरी है क्या?

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