टीसती हुई घावो को
सहलाते हुए
वे हमेशा ऐसी बाते
करना पसंद करते
जो उन्हें मौजूदा हालात से
उबार दे व खुद को वे भुला सके
बातो में
किस्से होते
दादा ,परदादा की बाते
फिल्मे होती
मजाक व गाने के बोल होते
राजनीति ,भष्ट्राचार
खेल ,महंगाई
सामाजिक समस्याओ की चर्चा में
जब कभी दर्द की टीस उभरती
तब तक
वे खुद को अन्य से जोड़ लिए होते
यह दुःख अपना ही नहीं है
अन्य लोग भी हालात के मारे हुए है
यह बात
कही उनके मन को सहला ही जाते .
1 टिप्पणी:
सच है कुछ बातें हौसला दिया करती है. हालात और बात परसुंदर कविता.
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