apna sach

शनिवार, 27 मार्च 2010

साझा

टीसती हुई घावो को
सहलाते हुए
वे हमेशा ऐसी बाते
करना पसंद करते
जो उन्हें मौजूदा हालात से
उबार दे व खुद को वे भुला सके
बातो में
किस्से होते
दादा ,परदादा की बाते
फिल्मे होती
मजाक व गाने के बोल होते
राजनीति ,भष्ट्राचार
खेल ,महंगाई
सामाजिक समस्याओ की चर्चा में
जब कभी दर्द की टीस उभरती
तब तक
वे खुद को अन्य से जोड़ लिए होते
यह दुःख अपना ही नहीं है
अन्य लोग भी हालात के मारे हुए है
यह बात
कही उनके मन को सहला ही जाते .

1 टिप्पणी:

के सी ने कहा…

सच है कुछ बातें हौसला दिया करती है. हालात और बात परसुंदर कविता.