apna sach

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

अंत अभी नहीं

(कभी कभी हमलोग परिस्थितियों से लड़ने के बजाय खुद को उसके हवाले कर देते है। अपना अंत ,
अपने विचार व अपने व्यक्तित्व का अंत
तक
सोचने लगते है
पर कहते है -
जहाँ कुछ भी हो
वहां
दो शब्द हमेशा
हमारे साथ रहते है)


इस असहनीय दर्द में

मै अपना अंत क्यों सोचूँ

जरा जी कर देखे

इस दर्द का अंत है कहाँ





3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

jo is dard ko ji kar jivit rahtain hain wahi zindagi main safal hote hain.poonam ji aise hi prerna bhari kavitaayen aage bhi likhti raha karain.

Unknown ने कहा…

जीवन से संघर्ष करते रहने के लिए इन पंक्तियों से बेहतर प्रेरणा कोई और नहीं. आपकी चार पंक्तियों की कविता हज़ार शब्दों से बढकर है.

Unknown ने कहा…

this is easily one of the best motivational lines I've ever come across. most inspiring.