apna sach

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

स्त्री

तुम खुश हो ?
अरे हाँ ,तुम खुश क्यों नहीं होगी
आईने में तुमने खुद को
आज जी भर निहारा है
रक्षा बंधन पर भाई ने
तुम्हे बहुत याद किया है
पति ने नयी साड़ी
तुम्हे लाकर दी है
त्यौहार पर तुमने
घर को खूब संवार दी है
बेटे को मेडिकल में
दाखिला मिल गया है
बेटी अपने ससुराल में
बहुत खुश है
बहू ने तुम्हे एक बेटी की
तरह प्यार दिया है

तुमने
घर के एक एक कोने को
हर एक व्यक्ति को
अपने जिंदगी का
हर एक पल समर्पित किये

तुम खुश क्यों नहीं होगी

तुमने अपने दुःख को
अपने सुख को
अपने पुराने बक्से में डालती गयी
जिसमे काफी कुछ तुम्हारा कभी
और अभी भी
बहुत निजी है

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

bahut baadhiya chitran bhartiya stri ke jeevan ka.