apna sach

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

विद्रोह -

शब्द ,शब्द ही रहे
भावनाए बदल गयी
शब्द बेजान हुए
अर्थ सब खो गए
अपने अन्दर इतना विद्रोह भरा है
यह चोट करने पर मालूम हुआ ।

2 टिप्‍पणियां:

Amitraghat ने कहा…

"बढ़िया..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

M VERMA ने कहा…

अपने अन्दर इतना विद्रोह भरा है
यह चोट करने पर मालूम हुआ ।
विद्रोह का स्वर आरोह पर हो तो ---