apna sach

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

कुछ रूमानी है

मुझे याद है वो पल
वो तेरी नजर
वो अजीब कहर
वो ओठ तेरे
एक अल्फाज लहर
मुझे याद नहीं
वो क्या कहे
मुझे बस दिखा
एक कमजोर पल
मैंने महसूस की
यह सत्य भी
तुने मुझ पर भी
कुछ गौर की
तेरे हावभाव कुछ
कहे नहीं
मुझे भा गया
तेरी ये पहल .........

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