apna sach

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

धर्म

गुम्बद की तरह ऊची एक आवाज

दूर तक गूंज गयी

सभी ने सुना

धीरे धीरे आवाजधीमे धीमे ही सही

गीले उपले में लगी आग की तरह

धुएं की शक्ल में

दूर तक छा गयी

धुंध में कुछ स्पष्ट दिखना था

फिर भी लोग उस आवाज के

विषय में बात करते

अपनी आवाज को ही उस आवाज

का नाम देते

कुछ को अपने कानो पर विश्वास

कुछ को अपनी जबान पर

आश्चर्य सब अलग होते

वो आवाज क्या कह गयी

आज भी एक रहस्य है

पर वह आवाज गूंजी थी

ये सभी कहतें हैं

अब भी लोग उन आवाजों को

गौर से सुनते है

जो ऊची होती है

जो विस्तृत फैलती है

और शायद भ्रमित होते है कि

उन्होंने उस आवाज को सुन लिया

जो कभी गूंजा था और

आज भी धुंध में है

वे इसे धर्म की संज्ञा देते है


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