याद है वे बातें जो
पगडंडी से होती हुयी
सड़क
सड़क से होती हुयी
शहर
व शहर से होती हुयी
ताजमहल तक पहुची थी
ताजमहल अच्छा था
अत: बातें भी अच्छी रही
सुना था चांदनी में ताजमहल
खुबसूरत लगता है
हम लोगो की बाते भी
इंतजार में रही
चांदनी की
चांदनी झिलमिल ,स्वप्नलोक का
अहसास करती जब
बिझी धरती पर
हमारे कदमो से लेकर दूर अम्बर तक
तब हमारी बाते भी ठहर गयी थी
मुस्कराती हुयी खामोश थी
खामोश थी तब भी बातें
जब हम लौट रहे थे
अपने घर के चूल्हे के पास
आग के किनारे
तुष्टि के समीप
उसके बाद
बातें हमारे इर्द गिर्द ही रही
चूल्हे के पास से होती हुयी
द्वार पर आये हुए
हर शख्स से बात करती हुयी ।
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