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सोमवार, 15 फ़रवरी 2010
उजाले
रात
की
अनछुई
सायों
में
सब
कुछ
खोया
खोया
था
जब
सुबह
चौक
कर
जागा
तो
थे
तुम
बदले
थे
हम
बदले
।
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