apna sach

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

स्वयं में

बहुत गहरा कुआँ ,
हर रस्सी छोटी ,
कुछ रस्सी उसके तल को नापी ,
उसके पानी का अंश
बाहर निकालने का प्रयास ,
छपाक ,
टूट गयी या छूट गयी ,
कहा नहीं जा सकता ,
मै जब कुआँ में झाँका ,
जल तल पर मेरा अक्श,
मन हुआ ,
कूद जाऊ उसमें ,
स्वयं में ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

poonam aap aur aapki kavitaayen dono laajawaab.