apna sach

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

बीते पल

कहाँ खो गया
क्या हो गया
वो जहाँ ,कहाँ पर सो गया
मै ढूढता रहा उसे
वो उम्र में छुपता रहा।

उसे कैनवस पर न उतार सका
कही बातो में न पा सका
वो जुबां से परे रहा
वो दृष्टि से लोप रहा
मै टटोलता रहा उसे
वह अहसास से परे रहा।

मै गम भी न मना सका
न वो उम्मीद में आ सका
वो कही था, तो यही रहा
अब गया कहाँ ,जो कही नहीं
मै सोचता रहा उसे
वो समझ से परे रहा ।

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

sach hi to hai jo beet gaya wo kahaan vaapas aata hai

Unknown ने कहा…

sach hi to hai jo beet gaya vo vaapas nahin aata hai