apna sach

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

घर

घर
जहाँ जाने में झिझकते नहीं हम ;
ही कोई संकोच ।
घर
जहाँ आने के लिए आमंत्रण
की जरुरत नहीं होती ।
घर
संसार में पनाह लेने की एक जगह ,
महकती खुशबू ,जानी पहचानी
सम्बन्धो का घेरा ,
एक सुकून ।
घर
मेरे न होने के खालीपन को
एक इंतजार से भरता हुआ ,
मेरी जरुरत
मेरा घर ।

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