apna sach

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

स्वप्न

चलते -चलते ही हमारे अनुभव ही
हमारी जिंदगी बनते है
हमारे अहसास व आशाओं के बीच ही
स्वप्न पलते है
कुछ कड़वी यादें साथ ही रहती है
कुछ अजीब अनुभव हमारे बीच पलती है
स्वप्नों के बीच वास्तविकता
व वास्तविकता में स्वप्न का उदभव
न हम तोड़ पाते है और न ही छोड़ पाते है

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

aur inhi yaadon ke sahare hamari jindagi kat jaati hain.

Unknown ने कहा…
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