apna sach

सोमवार, 1 सितंबर 2025

वक्त

वक्त फूलों की सुगंध की तरह है 

आसपास बस बिखर जाती है 


आप चाहे तो उसे अंदर तक 

 समाहित करे ,

आनन्दित हो ,

स्वयं को उस पल में जोड़ दे 

          या 

बस वहाँ से गुजर जाएं 


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