apna sach

बुधवार, 3 सितंबर 2025

सहारा

फैल  जाती है पेड़ो की बाँहे 

   अपने आसपास 

किसी को सहारा मिल जाता है 

         तो  कहीं छाँव 

इस सहारे की एक कीमत  

   यह भी है 

अपने जैसो को ये 

पनपने ही नहीं देती। 

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