छत आसमान से बात करने
की जगह,
पेड़ो की ऊंचाई तक जाकर
उनसे बात करने की जगह ,
मन को बादलों पर रख कर
साथ दूर तक विचरण करते रहना ,
व
पक्षियों को उड़ते और डाल पर
बैठते देखते रहना
सीमाएं सबकी अपनी है
उड़े चाहे जितनी
पर
आना यही है.
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