apna sach

सोमवार, 1 सितंबर 2025

छत

   छत आसमान से बात करने 

                     की  जगह,

पेड़ो की ऊंचाई तक जाकर 

उनसे बात करने की जगह ,

मन को बादलों पर रख  कर 

साथ दूर तक विचरण करते रहना ,

             व

पक्षियों को उड़ते और डाल पर 

      बैठते देखते रहना 

सीमाएं सबकी अपनी है 


उड़े चाहे जितनी 

   पर 

आना यही है.

  


 

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