apna sach

रविवार, 31 अगस्त 2025

दुविधा

दौड़ते दौड़ते लगा कि 
सारी दुनिया थमी हुई है 
          शांत है ,
बस मैं ही दौड़े जा रहा हूँ 

हाँ ,अब रुका हूँ थोड़ा 
कि आराम से देखूँ जरा 
क्या है आस पास 

सब भागे जा रहे जाने कहाँ 
हैरान परेशान 
और मैं ही हूँ  
पिछड़ते जा रहा हूँ सबसे 

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