apna sach
apna sach
apna sach
संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ
रविवार, 31 अगस्त 2025
दुविधा
दौड़ते दौड़ते लगा कि
सारी दुनिया थमी हुई है
शांत है ,
बस मैं ही दौड़े जा रहा हूँ
हाँ ,अब रुका हूँ थोड़ा
कि आराम से देखूँ जरा
क्या है आस पास
सब भागे जा रहे जाने कहाँ
हैरान परेशान
और मैं ही हूँ
पिछड़ते जा रहा हूँ सबसे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें