apna sach

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

पुर्नावृति

इसी धरती पर
सदियों से पड़ रहे है 
कदमों के निशान ,
बहुत सारे पैरो ने बनाये होंगे 
एक निशान रास्तो का,
मिटा होगा,
 पुनः बना होगा 
हम आज भी कभी  कभी 
उन्ही कदमो के निशाँ के ऊपर ही 
अपने कदम रख रहे होंगे ,

बस वक्त के फासले ही है 

अभी सभी को चलना होगा 
समय के एक  अन्तराल में 
मिटते व बनते हुए निशानों पर 
बार बार व 
बारम्बार।

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