धरती ने मिटटी व् पत्थरो के अलावा
जो कुछ बचा था शेष ,
धीरे धीरे अपने में समेटते हुए
वर्षो बाद उन्हें कोयले में बदल दिया,
वही मनुष्यो ने पेड़ काटे ,मकान बनाये
जब जरुरत हुआ ,सुखी लकड़ियों को जला
आग तापी ,
फसल काटने के बाद ढूढ हुई ,
तनो व् जड़ो में आग लगा दिए ,
पल भर में घर फूकं दिए
अपना नहीं किसी और का ,
कभी ये आग से खेले
तो कभी आग इनके साथ खेल गया ,
हम लोगो ने बचपन में,
खेलने के लिए इन लकड़ी के कोयले से
धरती पर कई लाइनें खींच दी।
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